थके - हारे हुए कदमों से भी चलती तो अच्छा था ,,,,,,,,
============================== ================
न रह खामोश ऐ औरत ,,,तू कुछ कहती तो अच्छा था ,
वतन के आधे नक़शे पे तू भी रहती तो अच्छा था
नहीं उम्मीद रख गैरों से तेरे अश्क़ पोछेंगे ,
तू अपने दर्द का मरहम खुद ही बनती तो अच्छा था
नज़र आती नहीं फसलें ज़मीं पे अब मुहब्बत की ,
तू बन के पावनी गंगा , यहाँ बहती तो अच्छा था
जो देते हैं सजा तुझको तेरे मासूम होने की ,
उनके शातिर गुनाहों को नहीं सहती तो अच्छा था
तुम्हें बाज़ार में बिकता खिलौना मानते हैं जो ,
ऐसे बीमार लोगों से नहीं डरती तो अच्छा था
अगर महफूज़ रखना है तुम्हें नामों - निशां अपना ,थके - हारे हुए कदमों से भी चलती तो अच्छा था ....//
==============================
न रह खामोश ऐ औरत ,,,तू कुछ कहती तो अच्छा था ,
वतन के आधे नक़शे पे तू भी रहती तो अच्छा था
नहीं उम्मीद रख गैरों से तेरे अश्क़ पोछेंगे ,
तू अपने दर्द का मरहम खुद ही बनती तो अच्छा था
नज़र आती नहीं फसलें ज़मीं पे अब मुहब्बत की ,
तू बन के पावनी गंगा , यहाँ बहती तो अच्छा था
जो देते हैं सजा तुझको तेरे मासूम होने की ,
उनके शातिर गुनाहों को नहीं सहती तो अच्छा था
तुम्हें बाज़ार में बिकता खिलौना मानते हैं जो ,
ऐसे बीमार लोगों से नहीं डरती तो अच्छा था
अगर महफूज़ रखना है तुम्हें नामों - निशां अपना ,थके - हारे हुए कदमों से भी चलती तो अच्छा था ....//
परिचय:
* बिहार के मोकामा नामक गाँव में ५ जनवरी को जन्म ,
* सम्प्रति झारखण्ड के जमशेदपुर शहर में अध्यापिका के पद पर कार्यरत ,
* आकाशवाणी जमशेदपुर में आकस्मिक उद्घोषिका ,
* सहयोग , अक्षरकुम्भ, सिंहभूम जिला साहित्य परिषद् और जनवादी लेखक संघ
जैसे साहित्यिक मंच की सदस्या .
* आकाशवाणी जमशेदपुर में आकस्मिक उद्घोषिका ,
* सहयोग , अक्षरकुम्भ, सिंहभूम जिला साहित्य परिषद् और जनवादी लेखक संघ
जैसे साहित्यिक मंच की सदस्या .
*स्थानीय समाचार पत्रों ( हिन्दुस्तान , दैनिक जागरण , दैनिक भाष्कर , प्रभात खबर , इस्पात मेल )
आदि में रचनाएं प्रकाशित).
No comments:
Post a Comment