kalyani@Kabir
'' मैंने तो सिर्फ पकड़ रक्खा है हाथ में कलम ,,,,, लिखती तो तू है '' ज़िन्दगी ''........// kk
Thursday, May 27, 2010
ये जो है ज़िन्दगी
ये जो है ज़िन्दगी ,
हाथों से फिसलती रेत
की तरह
जितनी तेज़ बंद करती हूँ मुट्ठियों को,
उतनी ही तेज़ी से निकल जाती है ज़िन्दगी .
ये जो है ज़िन्दगी ,
बारिश की झिलमिलाती बूंदों की तरह ,
चमक जिसकी खींच लेती है
पर हाथों में लेते ही गुम हो जाती है कहीं।
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