Tuesday, November 26, 2013

मैं चलती हूँ रुक कर - गिरकर


              मैं  चलती  हूँ रुक  कर -  गिरकर .,.,.,.,.,.,.,.,


ओस  की  बूँदें  चुनकर  -  चुनकर  
मैं  चलती  हूँ रुक  कर -  गिरकर 
ये  जीवन है  नदी  की  लहरें 
बहती  रहती  कलकल - कलकल 
औरत  का दिल पीर की  कुटिया 
 फेंको   ना  तुम कंकड़  - पत्थर
देते  धोखा बनकर  अपने 
 चलना   उनसे  बचकर -  बचकर
उड़ने  के  हैं अपने  खतरे
ज़मीं   पे  रहना  डटकर -  डटकर
जिन पन्नों  में  छुपे  हैं आँसू 
उनकी बातें  मतकर -   मतक

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