सर्द हवा .....
सर्द हवा हैं रातें सर्द , अब उनसे मुलाकातें सर्द .
बोझिल आँखों को मत दो , ख्वाबों की सौगातें सर्द .
कौन सुनाये - सुनेगा कौन , चिकनी - चुपड़ी बातें सर्द .
सोने जैसी धूप में भी बिखरी है जज्बातें सर्द .
नेता और जनता के बीच घातें और प्रतिघातें सर्द .
जब भी डाला जेब में हाथ , हो गए सारे वादे सर्द .
गरीबी बसती है जिस गाँव , आती हैं बारातें सर्द .
जब से गया तू शहर से दूर , पड गई तेरी यादें सर्द .
कल्याणी कबीर
28 दिसम्बर , 2012
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