Saturday, November 23, 2013

 सोचती हूँ और .........

डरती हूँ जब हौसलों के चेहरे पर पड़ जायेंगी झुर्रियाँ /
मुझे रोटी के लिए तेरे दर के तरफ देखना होगा /
जब बुढापा रुलाएगा कदम दर कदम पे /
तब महफूज़ छत की जरुरत होगी मेरी बूढी नींद को /
गर दूंगी तेरे हाथों में दवाओं की कोई लिस्ट /
तू भूल तो न जाएगा उन दवाओं को खरीदना /
अभी तो चूमता है मुझको बेसबब घड़ी - घड़ी /
 कहीं तरसेंगे तो नहीं हम तेरे हाथों के छुअन को /
जाने कल के आईने में कैसे दिखेंगे हमारे रिश्ते /
फिलवक्त तो यही सच है हमारे दरम्यान मेरे बच्चे .....
'' मेरे जिस्म का टुकड़ा तू मेरी जान रहेगा ,,,,
 मेरे लिए हमेशा तू नादान रहेगा ...

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