मत कर इंतज़ार महताब का
चल आसमां के छत पर ,
अंधेरों की पगडंडियों से
गुजरकर
एक करार कर रात से ,
निचोड़ डाल अंधेरों को I
और फिर देखना तुम
उन्हीं अंधेरों से टपकेंगी बूंदें रौशनी की I
जिसमें हम उम्मीदों की फसल बोयेंगे ,
बुनेंगे कुछ चमकीले ख्वाब उसी उजाले में I
लिक्खेंगे ज़िन्दगी की इबारत हौसलों की कलम से I
क्योंकि तुम जानते हो दीपक तले अँधेरा होता है
और ,,
हम जानते हैं कि हर अँधेरे के ऊपर होता है
एक दीपक टिमटिमाता हुआ ............//
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