Friday, September 6, 2013

मेरा अस्त्तित्व ,
महज कुछ शब्दों की गठरी नहीं है .
न ही ये हो हल्ला मचाने का एक जरिया भर है .
ये है मेरी सोच का हस्ताक्षर ,,,,,मेरे होने का प्रमाण - पत्र
. मेरी जीवन राह् है ये ,,.. जो हलचल से नहीं डरती
न ही घबराती है अनवरत जगती रातों से ,
ये एक रोशनी है जिसकी छांव मॆं सांस ले रही है सृष्टि सारी ,,
मेरा वजूद मेरे गर्भ मॆं पल रहे शिशु की तरह है
जो पहचान है मेरे स्त्रीत्व की
और
जिसका जीवित रहना
मेरे जीवित रहने से भी ज्यादा जरूरी है ........//

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