Friday, September 6, 2013

ज़िन्दगी सौ ग्राम की हो या सात सौ ग्राम की ज़िन्दगी है । इस ज़िन्दगी में गरीब अपने पेट कों लेकर परेशान है तो अमीर अपने " पासबुक " कों सँभालने में । पर परेशान सब हैं कारण अलग हो सकता है ।

तो फिर ........ ऐ ज़िन्दगी गले लगा ले , हमने भी तेरे हर एक ग़म कों गले से लगाया है , ,,,,,,,,,, है ना /

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