Friday, September 13, 2013

ऐ कलम के कारीगरों ,,
सच पे लिखना कुछ और बात है और सच के लिए लड़ना कुछ और ,,
फर्क है सूरज को स्वयं गढ़ने में और चढ़ते सूरज को सलाम करने में ,,

भूख से समझौता करने में और खाली थाली से हाथ मिलाने में भी अंतर है ,,
ऐ सौदागर शब्दों के ,,
महज कागज रंगने और कलम तोड़ने से कुछ ना होगा ,,
मिटा दो ये फर्क कि विचार ज़िंदा रह सकें ,,
और हम भी कह सकें कि....... हाँ ,,, ज़िंदा हैं हम //
JAI HIND !!
@ कल्याणी कबीर
@

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